सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ कवि का कहना है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जिस प्रकार https://hindubhajan.in/ram-mandir-ayodhya/