त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।। साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।। भक्त अपने जीवन में https://shivchalisas.com